भूमिका
भारत और पाकिस्तान के बीच जो अभी तनाव का माहौल है उसमें भारत के सुरक्षा सैनिकों ने यह पुष्टि की है कि तुर्की निर्मित ड्रोन सोंगर सशस्त्र ड्रोन सिस्टम का उपयोग पाकिस्तान ने किया है यह खुलासा 9 में 2025 को हुआ है यह ड्रोन जब भारत में घुसपैठ का प्रयास कर रहे थे उसके बाद उन्हें निष्ठा नाबूत कर दिया गया और उनके मालवे के फॉरेंसिक में जांच करने के बाद यह पता चला
भाग 1: घटनाक्रम और भारत सरकार का बयान
1.1 ड्रोन हमले की घटना
- समय और स्थान : 9 में की रात सियाचिन से सर क्रीक तक 36 से ज्यादा स्थानों पर 200 से 400 ड्रोन की घुसपैठ की कोशिश
- भारतीय प्रतिक्रिया: हमारे भारत की वायु सेना और साथ में ही सीमा बालों ने इन ड्रोन को नष्ट कर दिया किया।
- मलबे का विश्लेषण: DRDO और साथ में ही रक्षा विशेषज्ञों के द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि ड्रोन तुर्की की कंपनी एनसीसी गार्ड द्वारा निर्मित है
1.2 सरकारी बयान के मुख्य अंश
विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी ने प्रेस वार्ता में बताया:
“पाकिस्तान ने तुर्की से प्राप्त सोंगर ड्रोन का उपयोग किया, जो एक सैन्य-ग्रेड सशस्त्र ड्रोन सिस्टम है। यह भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है, क्योंकि यह छोटे और सटीक हमलों में सक्षम है।”
भाग 2: सोंगर ड्रोन सिस्टम की तकनीकी क्षमताएँ
2.1 सोंगर ड्रोन क्या है?
सोंगर, यह एक ऐसा ड्रोन है जो तुर्की की कंपनी असीसगार्ड द्वारा विकसित किया गया एक पोर्टेबल सशस्त्र ड्रोन है इस विशेष रूप से कम तीव्रता वाले युद्ध के लिए तैयार किया गया है
मुख्य विशेषताएँ:
पैरामीटर | विवरण |
---|---|
वजन | 45 किग्रा (अधिकतम) |
हथियार | 5.56 मिमी मशीन गन (200 राउंड तक) |
रेंज | 10 किमी (वायरलेस कंट्रोल) |
उड़ान ऊँचाई | 2,800 मीटर (समुद्र तल से) |
कैमरा | 10x ऑप्टिकल जूम + थर्मल इमेजिंग |
नेविगेशन | GPS + GLONASS सिस्टम |
2.2 यह कैसे काम करता है?
- यह सेना की एक छोटी टीम के द्वारा भी बहुत ही ज्यादा आसानी से संचालित किया जा सकता है
- रात्रि के समय और साथ में ही रियल टाइम वीडियो ट्रांसमीटर की सुविधा उपलब्ध है
- 15 सेमी के लक्ष्य को 200 मीटर की दूरी से भेदने में सक्षम।
विशेषज्ञ राय:
“सोंगर जैसे ड्रोन का उपयोग आतंकवादी घुसपैठ और सीमा पर अशांति फैलाने के लिए किया जा सकता है। यह भारत के लिए एक नई चुनौती है।”
— मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अमित भारद्वाज
भाग 3: तुर्की-पाकिस्तान रक्षा सहयोग का इतिहास
3.1 प्रमुख रक्षा सौदे
- बायरकटार TB2 ड्रोन (2021):
- पाकिस्तान के द्वारा तुर्की से तीन सशस्त्र ड्रोन खरीदे गए(SIPRI डेटा)।
- और साथ ही में इनका उपयोग बलूचिस्तान और सीमावर्ती क्षेत्र जैसे में किया गया
- मिलगेम कॉर्वेट जहाज (2018):
- पाकिस्तान के द्वारा तुर्की से चार युद्धपोत खरीदे गए और उन्हें अरब सागर में तैनात किया गया
- एफ-16 अपग्रेड (2023):
- तुर्की ने पाकिस्तानी वायुसेना के लिए एफ-16 जेट्स को अपग्रेड किया।
3.2 राजनीतिक समर्थन
- 7 मई 2025: तुर्की के जो राष्ट्रपति है एर्दोआन उन्होंने पाकिस्तान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को भारत के खिलाफ समर्थन दिया
- पहलगाम हमले पर तुर्की की प्रतिक्रिया:
“हम पाकिस्तान के साथ खड़े हैं और अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग करते हैं।”
— तुर्की विदेश मंत्रालय
भाग 4: भारत के लिए चुनौतियाँ और प्रतिक्रिया
4.1 सुरक्षा चुनौतियाँ
- छोटे ड्रोन का पता लगाना मुश्किल (रडार से बचने की क्षमता)।
- सीमावर्ती गाँवों पर खतरा – नागरिकों की सुरक्षा को जोखिम।
- तुर्की-पाकिस्तान का तकनीकी सहयोग भविष्य में और घातक हथियार ला सकता है।
4.2 भारत की प्रतिक्रिया
- एंटी-ड्रोन सिस्टम की तैनाती:
- DRDO ने ड्रोन रोधी लेजर सिस्टम विकसित किया है।
- सीमा पर इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग यूनिट्स लगाई गई हैं।
- कूटनीतिक कार्रवाई:
- तुर्की को आपत्ति ज्ञापन भेजा गया।
- संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की आक्रामकता को उजागर किया।
- सैन्य तैयारियाँ:
- सीमा पर अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती।
- वायु रक्षा प्रणालियों को अपग्रेड किया जा रहा है।
भाग 5: निष्कर्ष – भविष्य की रणनीति
5.1 भारत को क्या करना चाहिए?
- स्वदेशी ड्रोन रोधी तकनीक को बढ़ावा देना।
- तुर्की के साथ कूटनीतिक संवाद बनाए रखना।
- अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान के ड्रोन हमलों के बारे में जागरूक करना।
5.2 अंतिम विचार
भारत को न सिर्फ अपनी सीमा को सुरक्षित रखने की जरूरत है बल्कि तकनीकी और कूटनीतिक स्तरों पर भी बहुत ज्यादा सक्रिय होने की जरूरत है तुर्की और पाकिस्तान के यह सैन्य सहयोग एशिया की सुरक्षा के लिए एक बहुत ही बड़ा प्रश्न